हरिद्वार में पड़ोसन भाभी की चुदाई – masstatus.com

हरिद्वार में पड़ोसन भाभी की चुदाई

रफ सेक्स विद भाभी का मुझे दिया हरिद्वार में मेरी पड़ोसन ने! उनके पति से मेरी दोस्ती हो गयी थी. एक बार वे बाहर गये तो मुझे अपनी पत्नी का ख्याल रखने को कह गये.

मेरा नाम विशाल है. मैं उत्तराखंड हरिद्वार में रह रहा हूँ.
आज मैं आपको अपने साथ हुई उस रफ सेक्स विद भाभी की घटना को बताऊँगा जो अभी कुछ दिन पहले मेरे साथ हुई थी.

दोस्तो, मैं हरिद्वार में जॉब करने आया था.
यहां धार्मिक क्षेत्र होने की वजह से दूर दूर से आदमी अपने सभी धार्मिक यात्रा और काम करने आते हैं.

जहां मैंने रूम लिया था, वह एक वहां के रहने वाले निवासियों का एक साफ-सुथरा मुहल्ला था.

उधर हमारी बिल्डिंग में फ्लोर के हिसाब से रूम बंटे हुए थे.
मेरे रूम के ठीक बगल वाले कमरे में एक मस्त पटाखा भाभी रहती थीं.

उनकी मस्त मोटे मोटे चूचे और थोड़ी बाहर को निकली हुई उनकी गांड थी.
ऐसी सेक्सी फिगर वाली भाभी को देखकर किसी का भी मन फिसल जाए.

वे हमेशा मुझसे बहुत प्यार से बात करती थीं.
मैं भी कभी कभी मज़ाक कर लिया करता था.

भाभी के पति का काम कुछ ऐसा था कि उन्हें शहर से बाहर जाना पड़ता था.

वैसे तो वे सुबह निकल कर शाम को वापस आ जाते थे.
पर कभी कभी वे दो या तीन दिन के लिए भी बाहर चले जाते थे.

उस वजह से भाभी घर में अकेली रह जाती थीं.

एक दिन उनके पति को किसी काम से बाहर जाना पड़ गया.
वे तीन दिन के लिए दिल्ली जा रहे थे.

उन्होंने मुझसे कहा- विशाल, तुम अपनी भाभी का ख्याल रखना. मैं दिल्ली जा रहा हूँ.
यह कह कर भैया चले गए.

उनके जाने के बाद मैं अपने कमरे में चला गया.

शाम को भाभी मेरे पास आईं और कहने लगीं- विशाल, क्या तुम आज मेरे साथ रूम में सो जाओगे, मुझे अकेले में डर लगता है!
मैंने भी हां कर दी.

मुझे तो खुद अन्दर से लग रहा था कि कैसे भाभी को पा लूँ.

रात को खाना खाकर हम दोनों सोने के लिए अलग अलग लेट गए.
फिर अचानक से भाभी को डर लगा और वे उठ कर मेरे पास आकर लेट गईं.

भाभी मुझसे बोलीं- तुम्हें कोई एतराज ना हो, तो मैं यहां लेट जाऊं? मुझे अकेले लेटने में डर लग रहा है.
मैंने कहा- हां लेट जाओ.

थोड़ी देर बाद उन्हें नींद आ गई.
पर मेरे लौड़े में सनसनी हो रही थी, मेरी आंखें खुली थीं.

जब कोई इतनी हसीन भाभी साथ में लेटी हो तो किस भोसड़ी वाले को नींद आने वाली.

मेरी नजरें भाभी की मोटी मोटी चूचियों पर ही टिकी थीं.
उनकी चूचियां चीख चीख कर बाहर आने को बेताब हो रही थीं.

मैंने करीब एक घंटा बाद डरते डरते भाभी के ब्लाउज के ऊपर हाथ रख दिया.

कुछ पल मैं मन को समझाता रहा कि भाई कहीं कुछ लफड़ा न हो जाए.

फिर जब भाभी की तरफ से कुछ नहीं हुआ तो मैंने उनके ब्लाउज के बटनों की तरफ ध्यान दिया.
उसमें चटकनी बटन लगे थे.

मैंने एक चटकनी बटन को खींच कर खोलने की कोशिश की तो बटन चट की आवाज के साथ खुल गया.

तब मैंने देखा कि भाभी की चूचियों की गोरी देह की चमक दिखना शुरू हो गई.
साथ ही भाभी को बेसुध सोती देख कर मैंने आगे बढ़ना शुरू किया.

मैंने एक एक करके सारे बटन खोल दिए.
उन्होंने अन्दर ब्रा भी नहीं पहनी थी.

ब्लाउज के बटन खुलते ही मैंने देखा कि दोनों चूचियां एकदम से मेरे मुँह के पास आ गईं.

गजब की चूचियां थीं भाभी की!

उनकी नंगी चूचियों को छूने में मुझे डर तो लग रहा था पर देख कर मज़ा भी आ रहा था.

मैंने अपनी जीभ निकाली और उसकी नोक को भाभी के एक दूध के निप्पल पर फेरना शुरू कर दिया.

पहली बार निप्पल को टच किया तो मेरे लंड को झटका लगा.
मैं सोचने लगा कि लंड का कनेक्शन किस तरह से सैट किया गया है. साला कभी तो देख कर खड़ा हो जाता है और अभी तो छूते ही काम उठने लगा है.

कुछ ही पलों में मेरे जोश ने मेरी हिम्मत काफी बढ़ा दी और देखते ही देखते मैं भाभी का एक निप्पल पूरा मुँह में लेकर चूसने लगा.
आह सच में क्या मज़ा आ रहा था.

मैंने डरते डरते अपना एक हाथ भाभी की गांड पर रखा और दबाना शुरू किया.
पता नहीं भाभी किस तरह की नींद में थीं कि उनको कुछ पता ही नहीं चल रहा था.

मेरे द्वारा इतना सब करने पर भी वह नहीं उठीं.
तो मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैंने धीरे से उनकी साड़ी ऊपर की ओर सरकानी शुरू कर दी.

उनकी गोरी गोरी टांगों को देखा तो कामवासना सर पर चढ़ कर मुझे उकसाने लगी.
मैं जीभ से उनकी नंगी हो चुकी टांगों को चाटने लगा.

बस यूं ही चाटते चाटते मेरी जीभ भाभी की चूत तक आ गई.
इतने में भाभी ने नींद में ही मेरे बालों में हाथ घुमाना शुरू कर दिया.

मैं समझ गया कि भाभी को जोश आने लगा है.
उनका सहयोग पाते ही मैंने तेज तेज चाटना शुरू कर दिया.

तभी भाभी की आंख खुली और वे उछलकर बैठ गईं.

वे बोलने लगीं- अरे … ये क्या कर रहे थे तुम … तुम्हें शर्म नहीं आई ये करते हुए?
मैंने कहा- भाभी, आपको अच्छा तो लग रहा था. आप झूठ मत बोलिए!

वे बोलीं- मुझे नींद में लगा कि तुम्हारे भैया हैं. मैंने तुम पर भरोसा किया और तुम ऐसा काम करने लगे!

मैंने कहा- भाभी जी, अब इतना हो ही गया तो बाकी भी हो जाने दो. वैसे भी आपको अच्छा ही तो लग रहा था ना!
वे मुस्कुरा कर कहने लगीं- तुम ये सब करने के लिए कब से सोच रहे थे?

मैंने कहा- जब से मैंने आपको पहली बार देखा था, तब से ही आपके लिए पागल था.
इतना बोलते हुए मैं भाभी के होंठों पर किस करने लगा और साथ में बूब्स भी दबाने लगा.

भाभी बिना किसी विरोध के तेज तेज सांसें लेने लगीं और उनका एक हाथ सीधे मेरे लंड पर चला गया.

भाभी बोलीं- इतना कड़क कर रखा है, अब मुझे भी दिखा दो ना … जब इतना सब कर दिया तो अब खुल कर आ जाओ देवर जी.

मैंने भी तुरंत उठ कर जींस निकाली और चड्डी में से लंड को आज़ाद कर दिया.
भाभी ने मेरे मोटे लंड को हाथ में लिया ओर बोलीं- इतना बड़ा तो तुम्हारे भैया का भी नहीं है.

भाभी ने लंड को चूमते हुए मुँह में ले लिया और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगीं.
वे लगातार 5-6 मिनट तक मेरा लंड चूसती रहीं.

इतने में ही मेरा सारा पानी उनके मुँह में ही निकल गया.
भाभी मेरे लंड का रस खाती हुई बोलीं- बड़ा मस्त स्वाद है देवर जी. अब तुम भी मेरी चूत को ऐसे ही चाट लो और मेरा पानी पी लो. वर्ना तेरे भैया को बताऊंगी कि तुमने मेरे साथ होने का फायदा उठाया.

मैं चुपचाप भाभी की चूत को चूसने लगा.
भाभी मस्ती में मेरे मुँह पर अपनी चूत रगड़ती हुई ‘आहह आहह आहह …’ करने लगीं.

भाभी ने मेरा सर बहुत कसके पकड़ा हुआ था और जब तक उनका पानी नहीं निकल गया, उन्होंने मुझे छोड़ा ही नहीं.

उसके बाद भाभी उठ कर खुद ही घोड़ी बन गईं और बोलीं- अब खड़ा ही रहेगा कि अन्दर भी डालेगा?
मैंने पीछे से लंड को चूत के छेद पर रखा और एक ही झटके में अन्दर डाल दिया.

भाभी थोड़ा तेज स्वर में चिल्लाती हुई आगे को सरक गईं.

पर मैंने मजबूती से भाभी की कमर को पकड़ लिया और तेज तेज झटके मारने लगा.

भाभी चिल्लाने लगीं- आह आराम से कर … आराम से कर दर्द हो रहा है.

मैंने उनकी एक ना सुनी और धकापेल करता रहा.
शुरू में ही दो मिनट में ही मेरा लंड अन्दर तक चोट मारने लगा.

भाभी तड़फने लगीं.

पर मैंने झटके मारना कम नहीं किया और लगातार झटके देता रहा.

कुछ देर बाद भाभी भी बाद में जोश में आ गईं और बोलीं- आह और तेज … और तेज विशाल … और तेज पेल!
मैं पूरी ताकत से तेज तेज अन्दर बाहर करने लगा और यूं ही लगातार 35 मिनट बाद लंड बाहर निकाला.

तब तक मैं अन्दर ही रस झाड़ चुका था.
भाभी हांफती हुई बोलीं- बस अब सो जा. साले तूने तो आज मेरी चूत का कबाड़ा बना दिया. एक बार में चार बार झड़ गई … मैं अब तक इतना कभी नहीं चुदी.

मैंने कहा- अभी कहा मेरी जान … अभी तो पहला राउंड हुआ है.

मैं भाभी के ऊपर चढ़ कर बैठ गया और अपने लंड को उनके मुँह में डाल दिया.
मैंने भाभी से लंड चूसने को कहा.

भाभी लंड चूसने लगीं.

और थोड़ी देर बाद जैसे ही लंड खड़ा हुआ … तुरंत मैंने उनकी टांगें उठाईं और एक झटके में लंड गांड के छेद पर रख कर अन्दर पेल दिया.

भाभी को इस बात का अंदाजा ही नहीं था कि मैं उनकी गांड में लंड पेल दूंगा.
वे गांड में दर्द के मारे चीखने लगीं.

जितनी तेज भाभी चिल्ला रही थीं, मैं उतनी ही ज़ोर ज़ोर से झटके मारता गया.
उनकी गांड से थोड़ा खून भी आ गया था, पर मैं रुका ही नहीं था, पेलता ही चला गया.

कुछ देर बाद भाभी को राहत मिल गई.
वे आह आह करती हुई मस्त होने लगीं.

कुछ देर बाद मैं भाभी की गांड में ही झड़ गया.

दोस्तो, उस पूरी रात में मैं बार बार भाभी के साथ लगातार यही सब करता रहा.
कभी उनकी गांड में, तो कभी मुँह में कभी चूत में लंड अन्दर बाहर करता रहा.

फिर जब मैं पूरी तरह से थक गया, तो वहीं उनको नंगा ही अपने सीने से लपेट कर सो गया.
सुबह जब भाभी उठीं, तो उनसे चला नहीं जा रहा था.

वे दर्द से कराहती हुई मुझे उठाने लगीं और बोलीं- विशाल, मुझे बेहद दर्द हो रहा है और बुखार भी चढ़ गया है. प्लीज दवा ला दो. मुझसे चला भी नहीं जा रहा है.
फिर मैं जैसे ही उठा, तो मेरा लंड खड़ा था. सुबह सुबह सबका खड़ा ही रहता है.

तभी मैंने भाभी को अपनी ओर खींचा और उन्हें किस करने लगा.
भाभी बोलीं- अब नहीं, प्लीज पहले दवा लाकर दो.

मैंने कहा- दवा तो मेरे पास ही है भाभी.
इतना बोलकर मैंने उन्हें फिर से नंगी कर दिया और झुका कर पीछे से गांड में लंड डाल दिया.

भाभी दर्द से कराह कर बोलीं- प्लीज वहां मत करो … आगे की ले लो.
वे इतना बोलकर रोने लगीं.

मुझे भी उन पर दया आ गई.
मैंने 4-5 झटके मार कर लंड निकाला और उसको चूत में डाल दिया.

चूत ने भी लंड का स्वागत किया.
मैं भाभी को ज़ोर ज़ोर से झटके मारता हुआ चोदने लगा.

थोड़ी देर बाद जब मुझे लगा कि अब मेरा होने वाला है तो मैंने लंड बाहर निकाला और सीधा उनके मुँह की ओर आ गया.

मैंने लंड उनके मुँह में दे दिया और गुर्रा कर बोला- चूस मेरी रंडी … आज से तू मेरी रंडी है. अब से तू ऐसे ही रोज मेरे लंड को चूसेगी.
भाभी ने हामी भर दी और लंड चूसते हुए ही लंड का पूरा पानी पी गईं.

दोस्तो, मेरी सेक्स कहानी का पहला पड़ाव यहीं तक का है.
मैं आगे भी ऐसी ही रोमांचक कहानियां लेकर आऊंगा. तो अगली सेक्स कहानी में मिलते हैं.

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